व्यक्ति का मन अपने अंदर एक अचेतन रुझान रखता है- अनंत श्री
व्यक्ति का मन अपने अंदर एक अचेतन रुझान रखता है बेहोशी के प्रति, और इसके लिये वो तरह-तरह के नशों का आविष्कार करता है। यह नशे किसी पदार्थ या रसायन के रूप में हो सकते हैं या किसी विचार या भाव के रूप में हो सकते हैं या फिर होश में आने के सपनों के रूप में भी हो सकते हैं।
सबसे खतरनाक वो नशे होते हैं जो व्यक्ति को ऐसा आभास देते हैं कि वो अपने सामान्य जीवन से ऊपर किसी बहुत महत्वपूर्ण बात के लिये जी रहा है, और इसमें सबसे घातक नशे हैं धर्म और राष्ट्रभक्ति के।
धर्म एक व्यवस्था या प्रक्रिया हो सकती है मनुष्य के जागरण के लिये, लेकिन अब तक धर्म ने उस दिशा में शायद ही काम किया हो। सभी संगठित धर्मों ने बस तरह-तरह के नशे ही दिये हैं मनुष्य को, और राष्ट्रभक्ति के नाम पर हिंसा और उन्माद ही बढ़ता है। लोग अगर विकसित हों हर तल पर तो राष्ट्रों को विदा हो जाना चाहिये, बस एक जागृत व करुणापूर्ण कामचलाऊ व्यवस्था ही सारी सामजिक व्यवस्थाओं को संचालित कर सकती है। राजनेता और धर्मगुरु उनके ही द्वारा गढ़े गये भय से मनुष्यों का शोषण करते हैं, वो कभी नहीं चाहेंगे कि मनुष्य के जीवन से भय विदा हो और भय की जगह प्रेम ले ले, क्योंकि भय के आधार पर ही मनुष्य को मनुष्य से लड़ाया जा सकता है लेकिन प्रेम के धरातल पर खड़े होते ही मनुष्य लड़ना बंद कर देता है, इसलिए ही तथाकथित स्वार्थों की पूर्ति में लिप्त लोग प्रेम की चाहे जितने बातें क्यों न करें, उनका उद्देश्य बस भय को बढ़ावा देना ही होता है।
“मनुष्य के जीवन में प्रेम की खिलावट हो जाये तो न धर्म की कोई जगह रहती है न राजनीति की”।
नमन प्रभु 🙏
सर्वप्रथम तो हमारे ही जीवन में प्रेम की
खिलावट हो।
सम्पूर्ण संवेदनशील होकर हम प्रेम की अशुद्धियों और
अवरोधों को दूर कर सकें।
ऐसे शुद्ध प्रेम में जीना ही तो वास्तविक धर्म होगा।
🙏🙏🙏
💛love and gratitude.💛
❤🙏❤
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Love&gratitude 🌷🌺🙏🏻
नमन प्रभु 🙏
सर्वप्रथम तो हमारे ही जीवन में प्रेम की
खिलावट हो।
सम्पूर्ण संवेदनशील होकर हम प्रेम की अशुद्धियों और
अवरोधों को दूर कर सकें।
ऐसे शुद्ध प्रेम में जीना ही तो वास्तविक धर्म होगा।
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