संसार और अध्यात्म में वस्तुतः कोई भेद नहीं है. ये तुम्हें अब तक बताया गया है कि उन में भेद है. संसार ही गहरे अर्थों में अध्यात्म है. नदी को पार करना है ? कहीं कोई नदी है ही नहीं जिसे पार करना है. नावें ? यहाँ तो न नदी है और न नाव है. जहाँ जाना है तुम वहीं हो. प्रथम कदम ही अंतिम कदम है. यात्रा, यात्री, मार्ग और मंजिल एक ही है. इस अंतर्दृष्टि का नाम ही अध्यात्म है.
कहीं जाना नहीं है. बस अपने होने को गहनता से अनुभव करो और तुम्हें आनंद और उत्सव के स्रोत दिखाई देने लगेंगे.
तुम्हारा मन ही संसार है. अध्यात्म है अमन की अवस्था. जो अंतर है वो मन और अमन का है. जब तुम मन में उलझ जाते हो, तब तुम्हारे लिए अध्यात्म भी एक भिन्न संसार होता है; और जब तुम मन से पार होकर अमन की अवस्था में ठहर जाते हो, तब तुम्हारे लिए कोई संसार नहीं बचता है.
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Aapki deshna jeevan ko nirantar saral or sahaj bana rahi hai Naman Pyare Sadguru 🌹🙏🌹❤️💚❤️🥀🥀🥀
Love&gratitude🌺🌺🌹🌷
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