…प्रत्येक सम्बुद्ध सद्गुरु अनंत की पुकार है, आलोक आमंत्रण है और अनंत पथ का मित्र है. वो अस्तित्व की चिरंतन करुणा का कायामय रूप हैं.
यह करुणा कभी कोमल स्पर्श की तरह हमारे प्राणों को सहलाती है और कभी कठोर होकर हमारी कठोरता को चूर-चूर कर देती है.
कभी शीतल समीर की तरह यह करुणा हमें गहरे विश्राम में ले जाती है और कभी तेज तूफान की तरह हमें भीतर तक झकझोर जाती है.
यह करुणा कभी शुभ्र ज्योत्स्ना और तारों से झरते सुकोमल प्रकाश की तरह हमारा पथ आलोकित करती है और कभी किसी महासूर्य के तीव्र प्रकाश की तरह हमें चकाचौंध कर जाती है, जिसके पश्चात हम देर तक ऑंखें मलते हुए रह जाते हैं.
इस करुणा का रूप चाहे जैसा भी हो, इसका उद्देश्य एक ही है – जागरण, परिपूर्ण जागरण. इस करुणा में एक ही भाव निनादित है, कि चेतना का सूर्य सबके जीवन में उदित हो और आत्म-स्मरण घटे…
Ahobhab🌹❤🙏
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सद्गुरु आप स्वयं जीवन का विस्तार हैं…. अहोभाव प्रभु ❤️🌹🔥🥀🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Prem pranam.💙💚
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