परम जीवन

परम जीवन- Anant Sri

…अपने भीतर से सारी बातें गिरा दो कि तुम्हें कहीं जाना है. जाने का भाव तुम्हें भविष्य देता है. भविष्य के आते ही तुम वर्तमान से हट जाते हो. वर्तमान में, ठीक इसी क्षण में, अभी और यहीं जीवन है.

वास्तव में मंजिल, मंजिल कहीं नहीं है, तुम जहाँ हो वहीं मंजिल है. तुम्हारे हर कदम से लिपटी हुई मंजिल है.

मंजिलें तुम्हें भविष्य देती हैं और उनके साथ ही तुम वर्तमान के शाश्वत जीवन से चूक जाते हो. नदी और नाव तुम्हारे स्वप्न में हैं, कहीं जाने और पार होने की बात भी तुम्हारा स्वप्न है. अपने स्वप्न से जागो. जागकर डूबो जीवन के महासागर में.

यहाँ जो डूबता है वही पार हो जाता है और जो किनारे पर बैठकर पार होने का स्वप्न देखता है वो निरंतर द्वैत के जगत में डोलता रहता है. द्वैत के जगत में जागो और तुम्हारी जागृति से ही तुम्हारी छलांग अद्वैत में लग जाती है.

स्वप्न से जागृति, द्वैत से अद्वैत और क्षणभंगुर से चिरंतन – यही है परम जीवन और यही है बोध का प्रकाश…

This Post Has 6 Comments

  1. अनीता

    ❤🙏❤

  2. Pushkar

    🙏🙏🌺🌺❤️❤️🌹🌹

  3. Rishi Prakash (Anant Santosh)

    🌹❤️🌹❤️❤️🙏❤️

  4. Puranjay Anant anaadi

    Profound and pragmatic teachings🩷🌹🙏💛💕

  5. Sneha dalvi

    🙇‍♀️🌹🙏

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