Covid के समय, मेरी माँ ने मुझे अनंत श्री का एक video भेजा, उस video को जब मैंने देखा तो उनके शब्दों की स्पष्टता और स्थिरता देख कर, मेरे भीतर भी स्पष्टता और स्थिरता उभरने लगी। ऐसा लगा जैसे कि मैं बुद्ध के सामने हूँ। मैंने कृष्णा जी से संपर्क किया और उस वक़्त जो online sessions चल रहा था उनमें मैं शामिल हुई।
धीरे-धीरे अनंत की बहती हुई नदी में मैं उतरने लगी। सबके प्रश्न और उनको दिये गये, अनंत श्री के उत्तर मैंने सुने। जीवन में कितने सारे गहरे प्रश्न थे, जो सतह पर आये और मैंने भी कुछ दिनों बाद अपना पहला प्रश्न पूछा।
मुझे आज तक याद है, जब अनंत श्री ने पहली बार कहा था कि “ श्वेताँबरी ने लिखा है कि…..”, एक संबुद्ध व्यक्ति से सीधा वार्तालाप हो रहा है, मैं उन्हें प्रश्न पूछ रही हूँ और वे मुझे सीधा उत्तर दे रहे हैं!!! इस बात की ख़ुशी, विस्मय और संतोष मेरे लिए कुछ अलग ही था।
सालों से ऐसी मान्यता थी कि संबुद्ध व्यक्ति बहुत दुर्लभ होते हैं और पहुँच के बाहर होते हैं । इस मान्यता को अनंत श्री ने हम सब के लिये, बहुत ही कुशलता से तोड़ा है। इसके पीछे, उनका हम सब के लिए, कितना प्रेम और कितनी करुणा है, उसका एहसास होता है।
Covid के समय, उनके द्वारा कराये गये morning meditation में, मुझे अपने अंदर बहुत गहरे उतरने का सौभाग्य मिला। वो अनुभव बहुत ही गहरा और रूपांतरणकारी रहा। कुछ समय बाद उनसे प्रत्यक्ष रूप में मिलने का सौभाग्य मिला। उनके साथ, जब पहली बार session में, सुबह black tea पी थी, तब ख़ुशी के आँसू रोकना मुश्किल हो रहा था। उस समय से लेकर आज तक, इस अटूट, निर्भार करने वाले प्रेम और शांति के महासागर में जीवन बह रहा है।
उनके साथ जेतबन जाना, उच्चतम ध्यानी संघ के संपर्क में आना, उनका अहमदाबाद आना, और कई सारी सुंदरतम घटनाएँ, कैसे घट गयीं, मेरे जीवन में, उसका उत्तर नहीं है। बस, ऐसा लगता है अस्तित्व ने अपने प्रेम और करुणा की वर्षा करी है।
जीवन के इस पड़ाव पर, अब महसूस हो रहा है कि उन्होंने अपना प्रेम, समझ और शांति का महासागर, हमारे लिए खोल के रखा है। बस हमें अपनी पात्रता बढ़ाने पर काम करना है। हमारा अपने आप में गहरा उतरना ही, उनकी सब से प्रिय गुरुदक्षिणा होगी।