“धन भी ध्यान भी”

अध्यात्म का धन से कोई विरोध नहीं है। जीवन में धन भी हो ध्यान भी। ध्यान बिना धन तुम्हें अपंग बना देता है। अध्यात्म निश्चित रूप से तुम्हारे आंतरिक धन की बात करता है, लेकिन आंतरिक धन की बात करना तुम्हारे बाहरी धन का विरोध नहीं है। कई बार तुम बाहर धन का अंबार लगा कर भी बिलकुल निर्धन हो सकते हो, तब इतना ही पता चलेगा की तुमने अपने भीतर के धन का अनुभव नहीं किया। जीवन में दोनों ध्रुव आवश्यक हैं….

 

“निर्वाण के नौ सोपान”

परिपूर्ण लगन से जो हम ढूंढते हैं वो पा लेते हैं। पूरी श्रद्धा से भरकर हम जो मांगते हैं वो हमे मिल जाता है। हम गहन श्रद्धा व गहन आशा से भर कर अपने अंतर्जगत के बंद द्वारों को खटखटाएंगे। जिस द्वार को हम गहरी आशा व संकल्प से भर खटखटाते हैं वो खुल जाता है। मैं अभी से उन बंद द्वारों के खुलने की चरमराहट को सुन पा रहा हूँ। अभी से मैं आप सब को अपूर्व शांति, आनंद व ऊर्जा से भरता हुआ अनुभव कर पा रहा हूँ….

 

“प्रसन्नता”

प्रसन्नता प्रत्येक व्यक्ति की खोज है। ऐसा कोई नहीं जो प्रसन्नता नहीं चाहता। यह धर्म का आधार है। एक धार्मिक व्यक्ति प्रसन्न व्यक्ति होता है। प्रसन्नता हमारा आत्मिक गुण है। प्रत्येक प्रसन्न व्यक्ति सुखी होता है लेकिन प्रत्येक सुखी व्यक्ति प्रसन्न नहीं होता। परमात्मा अकारण है, प्रेम अकारण है, ध्यान अकारण है और प्रसन्नता अकारण है। कारण मत खोजें, बस प्रसन्न हो जाएँ। इस क्षण को परिपूर्ण सजगता से जिएं और प्रसन्नता का चुनाव करें….

 

“The Book Of Meditator”

This sacred book contains highly concentrated words of eternal wisdom and meditation. On one hand it gives you a deep insight into meditation through selected quotes from the talks of Mystic Anant Sri. On the other hand it presents the reader with ancient techniques of meditation taken from Vigyan Bhairav Tantra. The book serves as a friend and a guide as it comes from Enlightened Mystic Anant Sri.

 

“Work and Meditaion”

Your work can either become simple, uncomplicated flowing naturally in effortless ease or it can become complicated and full of hypocrisy creating lot of complexities in life. Work has to become simple and harmonized. Though, it is always easier to make your work a medium of hypocrisy fraught with complexities. Even your so called religious deeds and activities are more instrumental…..

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“अनंत पथ के मित्र ”

जन्म तो सबको मिलता है,
लेकिन जीवन सबको नहीं मिलता
जीवन एक सर्वथा अनूठी घटना है।
जीते चले जाना साँसें लिए जाना ही जीवन नहीं है,
जीवन वहां है
जहां प्रेम की झील में
अनुग्रह के फूल खेलते हैं
जहां मौन के महासागर में
शून्य की नाव है तिरती है
जहां साक्षी के आकाश में
श्रद्धा का चंद्रमा चमकता है
जीवन प्रवाह है- समस्त विपरीताओं को
अपने में समेट कर बहता हुआ
चिर पुरातन, चिर नवीन, अभी और यहीं
वर्तमान के शाश्वत क्षण में
अनंत श्री

ANANT SRI

TIME LESS SPIRITUALITY

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