..भगवान श्री कृष्ण के अधरों पे जो बांसुरी दिखाई गयी है वो जीवन के परम संगीत का प्रतीक है. परमात्मा परम संगीत है. परमात्मा के होने का ढंग ही यह है कि जीवन में परम का संगीत झरने लगे. यही भाव प्रतीक रूप में श्री कृष्ण के साथ जोड़ा गया है.
भगवान् बुद्ध के साथ बांसुरी नहीं दिखाई देती लेकिन वो भी परम संगीत के ही प्रतीक हैं, उनकी प्रतिमा मौन को उभारने वाली है. और मौन के बिना क्या कोई संगीत हो सकता है ? संगीत के लिए सुरों के मध्य मौन का सुन्दर अंतराल होना आवश्यक है.
बांसुरी की मधुर धुन मौन के आकाश से ही तो उठती है. इसीलिए बांसुरी का प्रतीक श्री कृष्ण के साथ प्रकट है और बुद्ध के साथ प्रच्छन्न(अदृश्य)…
लेकिन भगवत्ता की अभिव्यक्ति में जीवन के परम संगीत के प्रतीक तो होते ही हैं…
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प्रेम प्रणाम स्वीकार करें भगवान।
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