तंत्र साधना की एक विधि है लता साधना जिसमें सम्भोग की घटना का उपयोग समाधि में प्रवेश के लिए किया जाता है. अतीत और वर्तमान में अनेक लोग इस विधि की ओर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से रुचित होते रहे हैं और कुछ लोग करुणावश और कुछ लोग अज्ञानवश परोक्ष या अपरोक्ष रूप से साधकों को इस और प्रेरित भी करते रहते हैं. किन्तु इस विधि में शील की गहरी पात्रता चाहिए होती है. यह विधि प्रेम का अनन्यतम प्रयोग है.
इस साधना की बातों से प्रभावित होकर बहुत से ऐसे लोग भी इस विधि की ओर रुचित होते रहे हैं जिनकी पात्रता नहीं होती, जिनके जीवन में शील नहीं होता. करुणावान सद्गुरु हमेशा मनुष्य के मन को जानकर अचूक समाधान देते हैं. सभी करुणावान सदगुरुओं ने शील की बात कही और व्यभिचार से दूर रहने को कहा. प्रेम से रहित सम्भोग व्यभिचार है. और प्रेम के लिए शील की गहराई आवश्यक है. जब अपात्र लोग इन बातों में रुचित हुए तो वह मात्र व्यभिचार में लिप्त होकर रह गए. दमन से मुक्ति के नाम पर वो एक नए दुश्चक्र में उलझकर रह गए. इस सबमें सदगुरुओं का कोई दोष नहीं, लेकिन बहुत सी बातें अपात्र लोगों के हाथों में पड़कर विकृत हो जाती हैं.
सम्भोग से समाधि का सबसे बड़ा उदहारण भगवान शिव और देवी हैं. इसीलिए उनके द्वारा ही तंत्र-विज्ञान का प्रादुर्भाव हुआ. शिव और देवी के जैसा अनन्य प्रेम, निष्ठा और समर्पण जब तक न हो, इस विधि की पात्रता नहीं हो सकती. यह विधि यौनगत न होकर प्रेमगत है.
जब एक स्त्री और पुरुष एक दूसरे के प्रति इतने गहरे प्रेम में हों कि उनकी आत्मा, मन और शरीर एक ही लय में तरंगित होने लगे हों तो उनका किसी भी तल का मिलन समाधि हो जाता है. वो मिलन फिर चाहे आत्मिक तल का हो या मन के तल का हो या शरीर के तल का हो. वस्तुतः ऐसा अनन्य प्रेम से युक्त युगल, एक दिव्य ऊर्जा के वर्तुल में बदल जाता है, उनके शरीर, मन और आत्मा एक ही ऊर्जा का एक नृत्य हो जाते हैं.
जब ऐसा शिव और देवी जैसा प्रेम घटे तब ही सम्भोग समाधि हो जाता है अन्यथा यह बातें या प्रयोग विकृति या व्यभिचार ही बनकर रह जाने को अभिशप्त हैं.
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Prnaam tathagat Sadguruji 🌹🙏🌹♥️
Love & gratitude🌷🌺🙏🏻
सादर प्रणाम सद्गुरु 💓🙏🏻💓
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