प्रसन्नता प्रत्येक व्यक्ति की खोज है। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जो प्रसन्नता नहीं चाहता। प्रसन्नता धर्म का आधार है। एक धार्मिक व्यक्ति की कसौटी प्रसन्नता ही है। प्रसन्न व्यक्ति ही धार्मिक व्यक्ति है। एक धार्मिक व्यक्ति प्रसन्न व्यक्ति होता है, वह उदास व गंभीर नहीं होता।
प्रसन्नता हमारा आत्मिक गुण है। जब हम अध्यात्म में गहरे उतरकर अपने आतंरिक केंद्र के निकट आते हैं, तब केंद्र से उठकर प्रसन्नता का आत्मिक गुण, हमें हर ओर से घेर लेता है।
प्रत्येक प्रसन्न व्यक्ति सुखी होता है लेकिन प्रत्येक सुखी व्यक्ति प्रसन्न नहीं होता। प्रसन्नता हमें खोलती है, तरल बनाती है और दूसरों की ओर प्रवाहित होने का एक अवसर देती है। प्रसन्नता का कोई कारण नहीं होता।
“परमात्मा अकारण है, प्रेम अकारण है, ध्यान अकारण है और प्रसन्नता अकारण है। कारण मत खोजें, बस प्रसन्न हो जाएँ। इस क्षण को परिपूर्ण सजगता से जियें और प्रसन्नता का चुनाव करें.”
🙏 प्रभु
सचमुच प्रसन्नता की ही तो खोज है।❣🙏❣