अतीत और भविष्य से मुक्त जीवन

अतीत और भविष्य से मुक्त जीवन- अनंत श्री

जीवन जीने के दो ढंग बहुत सुंदर हैं, एक तो यह कि ऐसे जियो जैसे कि यह तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन हो और दूसरा ऐसे जीना जैसे कि यह तुम्हारे जीवन का पहला दिन हो, और फिर एक मध्यम मार्ग भी है कि ऐसे जियो जैसे कि यह तुम्हारे जीवन का पहला और अंतिम दिन है। लेकिन इस सब में सबसे महत्वपूर्ण है जीना, जिस पर अधिकतर लोग ध्यान नहीं देते, और किसी न किसी प्रकार के विचार में उलझकर, जीने को स्थगित किये चले जाते हैं।

अधिकतर लोग इस तैयारी में जीते हैं कि पहले यह सब व्यवस्थित कर लें, या यह सब जुटा लें जीने के लिये, फिर जियेंगे, लेकिन वो ठीक अभी और यहीं नहीं जीते। जीवन के किसी भी दिन को हम अंतिम मानें या पहला, आवश्यक है उस क्षण में डूबकर जीना, और ऐसा जीना हर तरह के अतीत और भविष्य से मुक्त होता है।

अगर हम हर दिन को अंतिम मानकर जियेंगे, तो हम भविष्य के तनाव से मुक्त हो जायेंगे और साथ ही अतीत के अपराधबोध से भी, और यदि हम हर दिन को जीवन का पहला दिन मान कर जियेंगे तब भी अतीत की हर प्रकार की पकड़ से मुक्त होंगे और भविष्य के लिये बिना किसी योजना के बस अज्ञात और अनिश्चित अस्तित्व के साथ बहते हुए जियेंगे। इस सब में अगर हम देखेंगे तो किसी भी धारणा से अधिक महत्वपूर्ण है, ऐसे वर्तमान में जीना, जो कि पूरी तरह अतीत और भविष्य की पकड़ से मुक्त हो।

This Post Has 5 Comments

  1. अनीता

    अद्भुय प्रभू ! 🙏
    ऐसे ही जीने की आकांक्षा है।

  2. Anant Aparajita

    Bahut hi sundar..🌹🙏🏻🌹

  3. Meera Gopalan

    🙏

  4. Sapna Gadlng

    🙏🙏❤️

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